लेखनी प्रतियोगिता -25-Jan-2022
आंखें
ये मेरा दिल तेरे प्यार का मारा ना होता,
तेरी आंखों का जो हमको इशारा ना होता।
मयखाने में ही गुज़ार देते ता-उम्र हम यूं ही,
तेरी आंखों की मय का जो सहारा ना होता।
त्रिश्नगी का ये आलम हमें मार ही डालेगा,
तुने मेरा नाम प्यार से पुकारा ना होता।
हमें डुबोने की कोशिश की बहुत सागर ने,
डूब जाते, ग़र प्यार का किनारा ना होता।
तेरी नज़रों में ग़र हम जगह ना पाते,
बेदर्द जहां में हमारा गुज़ारा ना होता।
बेवफ़ा सनम हो तुम कहते सुना है लोगों को,
पर मेरे दिल को कभी ये गवारा ना होता।
ना मिलता साया ग़र आपकी नूर-ए-नज़र का,
तो बुलंदी पर यूं प्रेम का सितारा ना होता।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)